कैसे अपनी हसरतों से वाकिफ़ कराऊँ तुझे,
अपने मन की उस गहराई को कैसे दिखाऊं तुझे,
कैसे अपनी हसरतों…..
तेरी हर एक आहट पर नजर है मुझको,
हरकतों की हर एक खनखनाहट की खबर है मुझको,
पर हैं कुछ बातें जो जिम्मेदारियों के नीचे दब के रह जाती हैं,
उन बातों की आहट की कैसे एहसास दिलाऊं तुझे,
कैसे अपनी हसरतों से वाकिफ़ कराऊँ तुझे,
अपने मन की उस गहराई को कैसे दिखाऊं तुझे,
कैसे अपनी हसरतों…..
हैं कुछ अच्छी बातें भी मुझमे
पर बताने को वक्त ने लगाम लगा रखा है,
अपनी धड़कनों की नग्मों को मैं भी गुनगुनाता पर
कुछ अड़चनों ने गले में जाम लगा रखा है ……
उन बातों, उन नग्मों को कैसे मैं बताऊं तुझे
कैसे अपनी हसरतों से वाकिफ़ कराऊँ तुझे,
अपने मन की उस गहराई को कैसे दिखाऊं तुझे,
कैसे अपनी हसरतों…..
इस भीड़ के बाद तनहा मैं भी होता हूँ,
सोचता हूँ भली बुरी बातों पर, मायूस भी होता हूँ
तुझसे तकरार का पल पल याद है मुझको,
और कारण भी ऐ जिंदगी
पर यह व्यस्त संसार में व्यक्तिगत जीवन है
ये मैं कैसे बतलाऊँ तुझे
कैसे अपनी हसरतों से वाकिफ़ कराऊँ तुझे,
अपने मन की उस गहराई को कैसे दिखाऊं तुझे,
कैसे अपनी हसरतों…..
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