हवा का झोंका है ये ज़िन्दगी,
कैसे गुजर जाएगी,
खबर भी न पाओगे।
ये जो बनाते हो महल ख्वाब के हर वक्त,
कैसे टूट जाएगी
खबर भी न पाओगे…
कहते हो वक्त ही नहीं है,
थोड़ा सा मन-मस्ती करने के लिए,
दुनिया के इस दरिया में,
कुछ गोता भरने के लिए,
ये वक्त है
वक्त कब निकल जायेगा
पकड़ भी न पाओगे,
ये जो बनाते हो महल ख्वाब के हर वक्त,
कैसे टूट जाएगी
खबर भी न पाओगे…
हवा का झोंका है ये ज़िन्दगी,
कैसे गुजर जाएगी,
खबर भी न पाओगे।
लाख रहो मशगूल
थोड़ा वक्त भी निकालो,
ज़िन्दगी एक बार मिली है
चलो जी लो
और कुछ अपनो को भी सम्भालो
ये कब्र
जो आँखें बिछाए पड़ी हैं
कब उठा ले जाएगी
खबर भी न पाओगे
ये जो बनाते हो महल ख्वाब के हर वक्त,
कैसे टूट जाएगी
खबर भी न पाओगे…
हवा का झोंका है ये ज़िन्दगी,
कैसे गुजर जाएगी,
खबर भी न पाओगे।
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- ख्वाब में एक ख्वाब: एक ख्वाब -2
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