कौन कहता है मैं अकेला हूँ,
ये माया का जो जाल व्हाट्सप्प व् यूट्यूब ने बना रखा है,
करोङो को कहीं किसी वजह से
तो कहीं बिना किसी वजह के ही फंसा रखा है,
उन्हीं में से मैं भी उसका एक चेला हूँ,
कौन कहता है मैं अकेला हूँ……
बस मोबाइल का इंटरनेट ख़तम न हो,
सोशल मीडिया का ये भेंट ख़तम न हो,
कम पड़ जायेंगे कुदरत के बनाये ये दिन २४ घंटे के,
बस मेरे प्यारे मोबाइल की बैटरी ख़तम न हो,
कैसे बताऊँ इसके अभाव में या फिर नेट जाने के बाद में
मैं क्या – क्या झेला हूँ,
कौन कहता है मैं अकेला हूँ…..
क्या जरूरत है परफ्यूम पर पैसे उड़ाने की
रोज नहाने और लोगों को दिखाने की,
बस वो सेल्फ़ी ही काफी है सुबह की
जो मुँह धुलने के बाद खींच कर
स्टेटस में लगाता हूँ,
राजा हूँ अपने ग्रुप का
ग्रुप में हर खेल खेला हूँ,
कौन कहता हैं मैं अकेला हूँ….
अन्य मिलते-जुलते स्रोत: –
- व्यस्त संसार में व्यक्तिगत जीवन
- कल फिर गुजरा था उस गली से
- काश तू ऐसी होती
- हवा का झोंका है ये ज़िन्दगी
- क्या होता कहीं तू यूँ ही रूठ जाती
- सुना है कल याद किया था किसी ने मुझे
- लगता है यूं ही कुछ खोया सा है
- तू अच्छी है सच्ची है लेकिन बोलती बहोत है
- मेरी और तुम्हारी कहानी कुछ यूं रही
- दरिया से होते हुए समंदर में: एक ख्वाब -1
- प्रेम: ईर्ष्या दिल का (हां हो रही है जलन मुझे)
- ख्वाब में एक ख्वाब: एक ख्वाब -2
- एक अजनबी लड़की