Author name: Raj Kishor Kannoujea

सुना है कल याद किया था किसी ने मुझे

सुना है कल याद किया था किसी ने मुझे,ये मोहब्बत है या कुछ औरबताना मुश्किल है… हिचकी भी आयी थी एक बारमां से जिक्र भी किया था,मां भी निकली सयानीबोली कम कम ही निवाला डाला करगले में रोटी अंदर को फंस आयी हैपानी से ही चली गयी थीया था कुछ औरये बताना मुश्किल है… सुना […]

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क्या होता कहीं तू यूँ ही रूठ जाती

क्या होता कहीं तू यूँ ही रूठ जाती…ये मुस्कुराना, खिलखिलाना,नज़रों से नज़रें मिलाना,सब कुछ यूँ ही छूट जाती,क्या होता कहीं तू यूँ ही रूठ जाती… ये डर हर पल डराये जाती है,धड़कनों को आग सी जलाये जाती है,ये सब्र कभी दिल को हो नहीं पाता,जब मै ही तू हूँ,फिर क्यूं मुझे सताए जाती है,ये धड़कन,

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हवा का झोंका है ये ज़िन्दगी

हवा का झोंका है ये ज़िन्दगी,कैसे गुजर जाएगी,खबर भी न पाओगे।ये जो बनाते हो महल ख्वाब के हर वक्त,कैसे टूट जाएगीखबर भी न पाओगे… कहते हो वक्त ही नहीं है,थोड़ा सा मन-मस्ती करने के लिए,दुनिया के इस दरिया में,कुछ गोता भरने के लिए,ये वक्त हैवक्त कब निकल जायेगापकड़ भी न पाओगे,ये जो बनाते हो महल

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काश तू ऐसी होती

काश तू ऐसी होती…हंसती, मुस्कुराती,मेरा हर एक गमयु ही मिटाती,इस हरियाली में हवाओं सीखुश्बुओं के जैसी होती,काश तू ऐसी होती… मैं हँसते – हँसते जब यूँ हीमायूस हो जाता हूँ, थका सा – हारा साजाने कहाँ खो जाता हूँ ,तू एक दुआ होती उस वक्त रात के जुगनुओं के जैसी होती,काश तू ऐसी होती… जब

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कल फिर गुजरा था उस गली से

कल फिर गुजरा था उस गली सेजहाँ वर्षों पहले कुछ यादें छोड़ आया था,कुछ जुस्तजू, कुछ चाहतसब कुछ जोड़ आया था..कल फिर गुजरा था उस गली सेजहाँ वर्षों पहले कुछ यादें छोड़ आया था… वो वादियाँ वो मस्तियाँ आज भी याद हैंवो हाथों में हाथें डालेखेतों में सरसों की वो फुलझड़ियां,नदी का वो किनाराआज भी

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कौन कहता है मैं अकेला हूँ

कौन कहता है मैं अकेला हूँ,ये माया का जो जाल व्हाट्सप्प व् यूट्यूब ने बना रखा है,करोङो को कहीं किसी वजह सेतो कहीं बिना किसी वजह के ही फंसा रखा है,उन्हीं में से मैं भी उसका एक चेला हूँ,कौन कहता है मैं अकेला हूँ…… बस मोबाइल का इंटरनेट ख़तम न हो,सोशल मीडिया का ये भेंट

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व्यस्त संसार में व्यक्तिगत जीवन

कैसे अपनी हसरतों से वाकिफ़ कराऊँ तुझे,अपने मन की उस गहराई को कैसे दिखाऊं तुझे,कैसे अपनी हसरतों….. तेरी हर एक आहट पर नजर है मुझको,हरकतों की हर एक खनखनाहट की खबर है मुझको,पर हैं कुछ बातें जो जिम्मेदारियों के नीचे दब के रह जाती हैं,उन बातों की आहट की कैसे एहसास दिलाऊं तुझे, कैसे अपनी

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