Author name: Raj Kishor Kannoujea

काश तू ऐसी होती

काश तू ऐसी होती…हंसती, मुस्कुराती,मेरा हर एक गमयु ही मिटाती,इस हरियाली में हवाओं सीखुश्बुओं के जैसी होती,काश तू ऐसी होती… मैं हँसते – हँसते जब यूँ हीमायूस हो जाता हूँ, थका सा – हारा साजाने कहाँ खो जाता हूँ ,तू एक दुआ होती उस वक्त रात के जुगनुओं के जैसी होती,काश तू ऐसी होती… जब […]

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कल फिर गुजरा था उस गली से

कल फिर गुजरा था उस गली सेजहाँ वर्षों पहले कुछ यादें छोड़ आया था,कुछ जुस्तजू, कुछ चाहतसब कुछ जोड़ आया था..कल फिर गुजरा था उस गली सेजहाँ वर्षों पहले कुछ यादें छोड़ आया था… वो वादियाँ वो मस्तियाँ आज भी याद हैंवो हाथों में हाथें डालेखेतों में सरसों की वो फुलझड़ियां,नदी का वो किनाराआज भी

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कौन कहता है मैं अकेला हूँ

कौन कहता है मैं अकेला हूँ,ये माया का जो जाल व्हाट्सप्प व् यूट्यूब ने बना रखा है,करोङो को कहीं किसी वजह सेतो कहीं बिना किसी वजह के ही फंसा रखा है,उन्हीं में से मैं भी उसका एक चेला हूँ,कौन कहता है मैं अकेला हूँ…… बस मोबाइल का इंटरनेट ख़तम न हो,सोशल मीडिया का ये भेंट

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व्यस्त संसार में व्यक्तिगत जीवन

कैसे अपनी हसरतों से वाकिफ़ कराऊँ तुझे,अपने मन की उस गहराई को कैसे दिखाऊं तुझे,कैसे अपनी हसरतों….. तेरी हर एक आहट पर नजर है मुझको,हरकतों की हर एक खनखनाहट की खबर है मुझको,पर हैं कुछ बातें जो जिम्मेदारियों के नीचे दब के रह जाती हैं,उन बातों की आहट की कैसे एहसास दिलाऊं तुझे, कैसे अपनी

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