Author name: Raj Kishor Kannoujea

प्यार और एहसास

एहसास जरिया हैप्यार के महसूस होने काएक के बिना दूजावैसे ही अधूरा होता है। एहसास किसके साथकैसे और कितना हुआये तो एकअलग बात हैपर जो भी हो उसकीएक पहुंच होबस यही एकसलग बात है एहसास बस एकएहसास होता हैअपने हर बच्चे के लिएमाँ का प्यार खास होता हैएक हो या सौबच्चे बाँट नहीं पातेउसके प्यार […]

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उम्मीद और अफसाना

उम्मीद और अफसाना,शब्द ही तो हैं परएक कसक प्यार और विश्वास काझकझोर केपल-पल क्षण-क्षण के बनायेसारे सपने तोड़ केउम्मीद यादों कोअफसाना बना देती है। उम्मीद स्वर्ग का एहसास है तबजब जरा उतरेउम्मीद प्यार की गहराई है तबजब खरा उतरेतुम्हारे पल पल के एहसास कोनजराना बना देती है।पर उतरे जब नजरों सेअफसाना बना देती है। सुबह

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एक अजनबी लड़की

बसंत का मौसम, जब सूरज की पहली किरण चारों ओर एक अलग खूबसूरती बिखेर रही थी। बड़े दिनों बाद मुझे प्रकृति की सुंदरता का दर्शन करने का मौका मिला था नहीं तो रात-दिन शहर के ऑफिस में ही गुजरता था। एक बागीचे से हो कर जाते हुए उस सुनहरे मौसम में सुबह की खुशबू जो

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ख्वाब में एक ख्वाब: एक ख्वाब -2

यह ख्वाब में एक ख्वाब था मैं उठ खड़ा हुआ था,न परी थी न समंदर बिस्तर पड़ा हुआ था।थी नींद मेरी गहरी देर तक सो चुका था,शायद परी के चक्कर में देर हो चुका था… अब आ चुका था मंजिल बन-ठन के मैं चला था,और फिर किसी की राह में ये मनचला खड़ा था,सब लोग

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प्रेम: ईर्ष्या दिल का (हां हो रही है जलन मुझे)

मैं भोला हूँ, कच्चा हूँ,कुछ झूठा हूँ, कुछ सच्चा हूं,लेकिन कुछ बातें हैंजहां देख नहीं सकता तुझे,हां हो रही है जलन मुझे… ये आँखों-आँखों की जो बातें हैं,बस यहीं हम दोनों की मुलाकातें हैं,तेरा हंसना, मायूस होनासब कुछ मैंने बांटे हैं,बस कुछ तुम समझ पाती तोकुछ पता ही नहीं चलता तुझे,हां हो रही है जलन

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दरिया से होते हुए समंदर में: एक ख्वाब -1

दरिया से होते हुए समंदर में गिरना था,मालूम नहीं था मुझे यहीं आकर मिलना था।दरिया से होते हुए समंदर में गिरना था…. उस आग के झोकों ने कुछ नहीं बिगाड़ा मेरा,फूलों की खुशबू ने कुछ नहीं संवारा मेरा।मैं थपेड़ों में लहकता बहकता चला गया,इस बवंडर को भी आकर यही फिरना था। दरिया से होते हुए

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मेरी और तुम्हारी कहानी कुछ यूं रही

मेरी और तुम्हारी कहानी कुछ यूं रहीमैं चाहा था हर वक्त तुझे लेकिन तू चाहत से दूर रहीमेरी और तुम्हारी कहानी…… याद है पहली बार तेरे दीदार से ही परितृप था,उमंगें भी बहुत थी मन में, अचल ख्यालों में लिप्त था,तेरा मुस्कुराना, खिलखिलाना और न जाने क्या-क्या तू रहीमेरी और तुम्हारी कहानी कुछ यूं रही…

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तू अच्छी है सच्ची है लेकिन बोलती बहोत है

तू अच्छी है सच्ची हैलेकिन बोलती बहोत है…तेरी नटखट कुछ आदतेंटटोलती बहोत है,तू अच्छी…. कभी गुस्सा भी आ जाता हैतेरी कही हुई कुछ बातों पर,मैं सोचने को मजबूर हो जाता हूंतेरी सोच की हालातों पर,पर तेरा निखरना, भंवरनाऔर कभी सहरना ही बहोत है,तू अच्छी है सच्ची हैलेकिन बोलती बहोत है… तू अच्छी है सच्ची हैलेकिन

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लगता है यूं ही कुछ खोया सा है

आज देखा ही नहीं निगाह भर के उसे, लगता है यूं ही कुछ खोया सा हैआज देखा ही नहीं निगाह भर के उसे… कुछ वक्त का तकाज़ा था तोकुछ आहट भी न आयी उधर से,पलके पलटी थी उधर एक बार याद है,लेकिन कोई चाहत ही न आयी उधर से,ये आसमां, ये मंजरलगता है यूं ही

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